भाग्य के भरोसे न रहें
हर कोई अमीर बनना चाहता है, अमीर बनने के लिए कोशिश भी करते है, पर अफसोस की बात यह है कि गिनेचुने लोग ही इसमें सफल होते हैं.
जो लोग असफल होते है उसके पीछे कई कारण हो सकता है. उसमें से एक कारण है लोग भाग्य के भरोस रहते है.
जो लोग मान-सम्मान, सुख-समृद्धि, धन-दौलत पाना भाग्य का देन मानते हैं, वे कभी भी अमीर नहीं बन सकते हैं।
एक बार ज्योतिष ने नेपोलियन से कहां, आपके हाथ में राजा बनने की लकीर ही नहीं है।
तब नैपोलियन ने चाकू लेकर हाथ पर कट का निशान लगाते हुए कहां, अब बन गया न राजा बनने का लकीर।
आखिर में एक दिन नैपोलियन राजा बनें।
नैपोलियन ने यदि भाग्य पर विश्वास कर लिया होता तो वे कभी भी राजा नहीं बन सकते थे।
अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक हेनरी सल्यूस्टर का कहना है कि जिसे हम भाग्य की कृपा समझते हैं, वास्तव में वह हमारी सूझ-बूझ और कठिन परिश्रम का ही फल होता हैं।
फुटपाथ और गंदे से पड़े घरों में बैठे लोग जो खुद का भाग्य नहीं जानते, वे भला दूसरों के भाग्य के बारे में क्या भविष्यवाणी कर सकते हैं।
इसके बावजूद लोग उनके पास लाइन लगा कर खड़े रहते हैं।
यह पता होना चाहिए, सफलता या असफलता के लिए किस्मत का कोई रोल नहीं होता।
स्वेट मार्डन कहते हैं, भाग्यकर्म से ही बनता हैं।
प्रयास, लगन एवं परिश्रम के बल पर हम खुद ही भाग्य विधाता बन सकते हैं।
अपने हाथों से अपना भाग्य संवार सकते हैं।
हमें अपने जीवन में सपने को साकार करने के लिए खुद ही प्रयास करने की जरूरत होती हैं।
लुकमान के कहते है, सिर्फ पतवार से तट पर पहुंच नहीं सकते इसके लिए हाथ-पैर भी चलाने की जरूरत पड़ती है।
इसी तरह भाग्य के भरोसे कोई अमीर नहीं बन सकता हैं।
अमीर बनने के लिए भाग्य का दामन छोड़कर कर्मवादी बनना होगा।
कर्म के पथ पर चल कर ही आप अमीर बन सकते हैं।
जब आप अमीर बनने के लिए मेहनत करेगें,. प्रयास करेंगे,. भाग्य के भरोसे नहीं रहेंगे,. तभी आप अमीरी के शिखर पर पहुंच सकते हैं।
आप भी भाग्य के भरोसे न रहें। भाग्य के भरोसे रहने की बजाय लगन, परिश्रम करें।
कर्म करें, कर्म ही आपको अमीर बनायेंगी।
कर्म ही अमीर बनने के खास सूत्रों में से एक हैं।
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