मेरी काॅम
सफलता की कहानी सक्सेस स्टोरी
हलो फ्रेंड्स सक्सेस मंत्रा में आपका स्वागत है. सक्सेस स्टोरी में हम ऐसे हस्तियों के बारे में बता रहे है जिन्होंने परिस्थितियों से जुझते हुए सफलता पाई है. इसके अंतर्गत आज में बता रही हूं मेरी काॅम के सफलता की कहानी.
यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि अधिकतर लोग खुद को इस लायक ही नहीं समझते हैं कि वे किसी काम को कर सकते हैं. हर काम को मुश्किल बता कर पीछे हट जाते हैं. खुद को औसत दर्जे का सोचते है. एक सर्वे के मुताबिक अधिकतर लोग अपनी लाइफ स्टाइल से ऊपर उठना ही नहीं चाहते हंै. ऐसा नहीं है कि उनमें काबलियत नहीं है. उनके अंदर काबलियत तो है, लेकिन उनके मस्तिष्क में यह बात बैठी हुई है कि वे कुछ नहीं कर सकते हैं.
जिन लोगों ने अपने जिंदगी की शुरूआत गरीबी, परेशानी या छोटे से गांव से की है, वे हमेशा सोचते हैं कि सफलता उनके लिए नहीं है. उनके मन में एक डर समाया होता है जिसकी वजह से वे कुछ अलग हट कर सोच ही नहीं पाते हैं. आपको बता दूं छोटे से गांव या गरीबी से जुझते हुए अनेक लोगों ने कामयाबी हासिल की है.
आईये इस बार में आपको ऐसी ही हस्ति के बारे मंे बता रही हूं जिसकी सफलता की कहानी सुनकर आपके अंदर भी कुछ कर गुजरने का जोश जाग उठेगा.
मेरी काॅम का जन्म 1मार्च 1983 को मणिपुर के चुराचादपुर जिले में हुआ था. उनके पिता एक गरीब किसान थे. उनका बचपन काफी अभावों में बीता. उन्होंने अपनी लगन और कठोर परिश्रम से यह साबित कर दिया कि प्रतिभा का संबंध अमीरी या गरीबी से नहीं होता है.
मेरी काॅम की प्रारंभिक शिक्षा लोकटक क्रिश्चिन माॅडल स्कूल से कक्षा 6 तक और सेंट जेविएट स्कूल में कक्षा 8 तक हुई. इसके बाद उन्होंने कक्षा 9 और 10 की पढ़ाई के लिए इम्फाल के आदिम जाति हाईस्कूल में एडमिशन लिया, लेकिन वहा 10वीं की परीक्षा पास न कर सकी.
10वीं की परीक्षा में दोबारा बैठने का विचार त्याग दिया और पढ़ाई छोड़ दी. आगे की परीक्षा उन्होंने ओपेन स्कूल से पूरी की. खेलकूद का शौक बचपन से ही था. मुक्केबाज डिंग्को सिंह ने उन्हें मुक्केबाज बनने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्हें यह खेल पसंद आया. इसके बाद मणिपुर बाॅक्सिंग कोच नरजीत सिंह की देखरेख में अपनी टेªनिंग शुरू कर दी.
बाॅक्सिंग रिंग में उतरने के फैसले के बाद मेरी काॅम ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा कूटकूट कर भरा था. उनका हौसला फौलाद का बना था. राष्ट्रीय बाॅक्सिंग के अलावा मेरी काॅम ने सभी 6 विश्व प्रतियोगिताओं में पदक जीता है. एशिया की वह पहली महिला मुक्केबाज है जिन्होंने 5 गोल्ड अैर 1 सिल्वर मेडल जीता है. महिला विश्व वयस्क मुक्केबाजी चैम्पियनशीप में उन्होंने 5 गोल्ड, 2 सिल्वर और एक ब्रांज मेडल जीता है.
सन् 2012 में लंदन में ओलंपिक में ब्रांज मेडल जीत कर उन्होंने देश का नाम ऊंचा किया. इसके अलावा मेरी काॅम ने इंडोर एशियन गेम और एशियन बाॅक्सिंग प्रतियोगिता में भी गोल्ड मेडल जीता. 1 अक्टूबर 2014 को मेरी काॅम ने दक्षिण कोरिया में एशिया गेम के दौरान गोल्ड मेडल जीत कर पहली भारतीय महिला बाॅक्सर बनी गई.
सन् 2001 में प्रथम बार नेशनल वुमन्स बाॅक्सिंग चैम्पियनशिप जीतने वाली मेरी काॅम अब तक 10 राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी है. मुक्केबाजी में देश को गौरवांवित करनेव वाली मेरी काॅम को भारत सरकार ने वर्ष 2003 में अर्जुन पुरस्कार, वर्ष 2006 में पद्मश्री और 2009 में सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेलसन पुरस्कारसे सम्मानित किया गया है.
बाॅक्सिंग की दुनिया में अपनी उपब्धियों और सफलताओं के कारण आज मेरी काॅम हर भारतीय महिला के लिए रोल माॅडल बन गई है. उनके जीवन पर बनी फिल्म को भी काफी सरहाना मिली. इस फिल्म की भूमिका प्रियंका चोपड़ा ने निभाई है. मेरी काॅम की तरह फिल्म भी काफी सराही गयी. बाॅक्सर और राज्यसभा सदस्य मेरी काॅम देश में महिलाओं पर हो रहे यौन हिंसा को लेकर काफी चिंतित है. लोगों में यौन हमले के प्रति जागरूकता का प्रचार कर रही है.
मन में दृढ़ विश्वास के साथ कोई सोचें उसे सफल होना है तो वह सफल हो सकते है. जो खुद को दूसरों से काबिल समझते हैं वे सफल हो जाते हैं. यदि आप खुद को काबिल समझते हैं तो दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो आप नहीं कर सकते हंै। कितनी भी कठीन परीक्षा आपके सामने आने पर आप उसे बिना किसी परेशानी के पार कर जाएंगे.
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