रमेश चन्द्रा
रियल एस्टेट कंपनी यूनीटेक के संस्थापक व एमडी
सफलता का मंत्र - बुलंदियों को छूना है तो टीम वर्क पर विश्वास करें।
हलो फ्रेंड्स
सक्सेस मंत्रा में आपका स्वागत है. यदि आप सोचते है कि रातोंरात सफलता मिल जाएंगी और आप सारी दुनिया में छा जाएंगे तो इस भ्रम में न रहें क्योंकि सफलता रातोरात नहीं मिलती है. इसके लिए वर्षो का प्रयास, कठोर मेहनत और रणनीति जरूरी है. इस बार मैं सक्सेस स्टोरी में रमेश चन्द्रा की सफलता की कहानी बता रही हूं.
रमेश चन्द्रा रियल एस्टेट कंपनी यूनीटेक के संस्थापक व एमडी है. उनके सफलता का मंत्र है, बुलंदियों को छूना है तो टीम वर्क पर विश्वास करें। अकेल काम करना मुश्किल होता है, इसके लिए अपने दोस्तों को साथ ले सकते हैं।
रमेश चन्द्रा का जन्म 1941 में उत्तरप्रदेश के फरूक्खाबाद में हुआ। उनके पिता बैंक कर्मचारी थे। बचपन से ही पढ़ने में तेज तर्रार रमेश चन्द्रा ने स्कूली पढ़ाई के बाद आई आईटी खड़गपुर मंे प्रवेश ले लिया। वहां स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की।
डिग्री मिलने के बाद उन्होंने कोलकाता की ब्रिड एंड रूफ कंपनी में नौकरी की। कुछ समय बाद उनका काम में मन नहीं लगा। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन चले गए। वहां उन्होंनं यूनिवर्सिटी आॅफ साउथम्पटन से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में ही एमटेक किया।
पारिवारिक जिम्मेदारियों और घर का बड़ा बेटा होने के नाते रमेश चंन्द्रा को स्वदेश लौटने का निर्णय लेना पड़ा। 1965 में भारत लौटकर वे रूड़की के शासकीय लैब मंे काम करने लगे। दो साल बाद उनकी शादी हो गई।
शादी के बाद रमेश चन्द्रा अपनी पत्नी के साथ दिल्ली आ गए। वहां उन्होंने स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की प्रैक्टिस करने लगे और उनकी पत्नी एम्स में रिसर्च शुरू किया। 1977 में उन्होंने अपना काम शुरू करने का निश्चय किया।
उन्होंने अपने चार दोस्तों को साथ लेकर यूनाइटेड टेक्निकल कंसल्टेट्स की स्थापना की। यह कंपनी साॅइल मैकेनिक्स और फाउंडेशन इंजीनियरिंग क्षेत्र में सेवाएं उपलब्ध कराती थी। जल्दी ही उनकी कंपनी ने सिविल इंजीनियरिंग के काॅन्ट्रेक्ट लेने शुरू कर दिए।
रमेश चन्द्रा ने जब महसूस किया की किसी काम को स्वतंत्र रूप से पूरा करने के लिए उनके पास अब पर्याप्त अनुभव हो गया है, तो उन्होंने 1985 मंे रियल एस्टेट का काम शुरू किया।
उन्होंने रियल एस्टेट की शुरूआत मध्यमवर्ग के लिए मकान बनाने से की। उन्होंने गुड़गांव से लेकर लीबिया तक काम किया। रियल एस्टेट में बूम के साथ ही कंपनी लगातार सफलता की बुलंदियों को छू रही है।
अब यह देश की दूसरी सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी बन गई है। वर्तमान में कंपनी का कारोबार बहुत विस्तृत हो गया है। लक्जरी घर से लेकर, काॅमर्शियल बिल्डिंग, होटल, पाॅवर ट्रांसमिशन लाइन, हाईवे, थीम पार्क, स्टील प्लांट, इनडोर स्टेडियम आदि बनाने का काम कर रही है।
यूनीटेक द्वारा नोयडा में बनाए गए ‘द गे्रट इंडिया प्लेस’ को इंडियन शाॅपिंग सेंटर फोरम द्वारा बेस्ट डिजाइन अवाॅर्ड 2008 दिया गया। दिल्ली के रोहिणी स्थित मेट्रोवाल्क बिल्डिंग के लिए सिटी स्पेस अवाॅर्ड सील आॅफ डिस्टिंक्शन दिया गया।
चार दशक पहले मात्र 50,000 रूपए से यूनीटेक की स्थापना की थी। सफलता के शिख
र को चूमते हुए वे आज की स्थिति में रियल एस्टेट क्षेत्र में देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी के मालिक है।
2008 में फोब्र्स पत्रिका ने उन्हंे आठवां सर्वाधिक अमीर भारतीय घोषित किया था। एशिया के पहली पीढ़ी के अरबपतियों की सूची में भी उन्हें चैथा स्थान मिला है।
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