आदित्य विक्रम बिड़ला
बिड़ला ग्रुप के पूर्व अध्यक्षसक्सेस मंत्रा पर आपका स्वागत है. इस चैनेल के माध्यम से हम सक्से लोगों की स्टोरी सुनाते है जिसे सुनकर आपके अंदर भी कुछ करने का जज्बा उत्पन्न हो. सक्सेस स्टोरी में इस बार में आदित्य विक्रम बिड़ला की स्टोरी बता रही हूं.
आदित्य विक्रम बिड़ला, बिड़ला ग्रुप के अध्यक्ष थे। इसके अलावा वे सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया तथा एयर इंडिया के डायरेक्टर के पद पर भी रहे।उनकी सफलता का मंत्र था, कड़ी मेहनत और टीम वर्क आपको एक बड़ी सफलता की ओर ले जाती है।
आदित्य विक्रम बिड़ला का जन्म 14 नवंबर 1944 को संपन्न बिड़ला परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बसन्त कुमार बिड़ला तथा माता का नाम सरला बिड़ला था। वे जी. डी. बिड़ला के पौत्र थे।
प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद आदित्य बिड़ला कोलकाता आ गए। यहां सेंट जेवियर काॅलेज से उन्होंने विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और आगे की पढ़ाई के लिए विदेश चले गए। वहां बोस्टन के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आॅफ टैक्नोलाॅजी से कैमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
आदित्य विक्रम बिड़ला ने भारत लौट कर अपने कैरियर की शुरूआत उद्योग से की। उन्होंने कोलकाता में इस्टर्न स्पिनिंग मिल की स्थापना की, जिसमें रेयाॅन तथा वस्त्र उद्योग फलने-फूलने लगा।
इस्टर्न मिल की सफलता के बाद उन्होंने हिंदुस्तान गैस का विस्तार किया। उस समय इंडो गल्फ फर्टिलाइज़र व कैमिकल लिमिटेड की स्थिति काफी खराब थी।
आदित्य विक्रम बिड़ला ने उसका कार्यभाल अपने हाथों में ले लिया। उनकी सूझ-बूझ और कुशल नेतृत्व से इंडो गल्फ फर्टिलाइज़र व कैमिकल लिमिटेड को बंद होने से बचा लिया और उसे शीघ्र एक लाभ कमाने वाली कंपनी में बदल दिया।
1983 में जी. डी. बिड़ला की मृत्यु के पश्चात बिड़ला ग्रुप की सारी जिम्मेदार आदित्य विक्रम बिड़ला पर आ गई। उन्होंने बिड़ला ग्रुप को ऊंचाई तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 12 साल बाद उनकी कंपनी ने भारत के बाहर भी पैर पसारना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने बिजनेस को थाईलैंड, इंडोनेशिया, फिलीपींस व मलेशिया तक फैलाया।
आदित्य बिड़ला ग्रुप ने वस्त्र, कैमिकल, इंजीनियरिंग का सामान, फर्टिलाइज़र, फाइनेंस सर्विस, टेलीकाॅम, बीपीओ सेक्टर, आईटी सेक्टर, सीमेंट, पाॅम आॅयल आदि का उत्पादन किया। हिंडैल्को व ग्रासिम को आश्चर्यजनक सफलता दिलाई।
वे भारत को विश्व के विशालतम कंपनियों वाले देश की सूची में देखना चाहते थे। इसके लिए वे दिन रात कड़ी मेहनत करते थे और दूसरों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे।
आदित्य विक्रम बिड़ला को उनके असीम योगदान के लिए 1990 में बिजनेस मैन आॅफ द ईयर घोषित किया गया था। उनकी स्मृति में चित्रकारों तथा मूर्तिकारों को ‘आदित्य विक्रम बिड़ला कला शिखर पुरस्कार’ दिया जाता है। भारत के प्रथम वैश्विक काॅर्पोरेशन की देन उन्हीं की है। 1 अक्टूबर 1995 को प्रोस्टेट कैंसर बीमारी के कारण बाल्टीमोर में उनका निधन हो गया।
आदित्य विक्रम बिड़ला भले ही सपन्न परिवार से थे, लेकिन उन्होंने अपने देश को और अपने पारिवारिक उद्योग को ही अपनाया. उन्होंने विदेश में पढ़ाई की लेकिन उसका सदुप्रयोग उन्होंने भारत में रहकर भारत के लोगों के लिए किया.
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